ज्योतिष में विवाह के समय का पता लगाने के लिए कई ग्रहों, नक्षत्रों, और कुंडली के तत्वों का विश्लेषण किया जाता है। यहां कुछ मुख्य तत्व बताए गए हैं जिनका उपयोग विवाह के समय की जांच में किया जाता है:
- सप्तम भाव: कुंडली में सप्तम भाव (विवाह स्थान) का अध्ययन किया जाता है। सप्तम भाव विवाह से संबंधित होता है और विवाह समय का प्रभावित करता है।
- सप्तमेश ग्रह: सप्तमेश ग्रह का अध्ययन भी विवाह के समय के लिए महत्वपूर्ण होता है। सप्तमेश ग्रह का स्थान और संयोग विवाह के बारे में जानकारी प्रदान कर सकता है।
- कुंडली मिलान: विवाह के समय का पता लगाने के लिए ज्योतिषी कुंडली मिलान करते हैं। इसमें दो व्यक्तियों की कुंडली के गुण मिलाए जाते हैं और विवाह के योग्यता का मूल्यांकन किया जाता है।
- दशा-अंतरदशा: विवाह के समय का पता लगाने में दशा-अंतरदशा का महत्वपूर्ण योगदान होता है। व्यक्ति की वर्तमान दशा और अंतरदशा के आधार पर विवाह के समय का निर्धारण किया जाता है।
- ग्रहों के संयोग: विवाह के समय का निर्धारण करते समय ग्रहों के संयोग का भी ध्यान दिया जाता है। शुभ ग्रहों के सकारात्मक संयोग विवाह के लिए अनुकूल होते हैं।
यह संक्षेप में कुछ मुख्य तत्व हैं, लेकिन विवाह के समय का पता लगाने के लिए व्यापक ज्योतिषीय विश्लेषण किया जाता है। यह सुझाव दिया जाता है कि आप एक विश्वसनीय और अनुभवी ज्योतिषी की सलाह लें जो आपकी कुंडली का विश्लेषण कर सकता है और आपको विवाह के समय के बारे में अधिक जानकारी दे सकता है।