ज्योतिष में जन्म नक्षत्र (Janma Nakshatra) एक महत्वपूर्ण आधार है। जन्म नक्षत्र व्यक्ति के जन्म के समय चंद्रमा के स्थान के आधार पर निर्धारित किया जाता है। नक्षत्र सूचक होते हैं कि चंद्रमा उस समय किस नक्षत्र में स्थित था जब व्यक्ति का जन्म हुआ था।
हिन्दू ज्योतिष में, नक्षत्रों की कुल संख्या 27 होती है, जिन्हें विद्यमान नक्षत्र (Visible Nakshatra) और अविद्यमान नक्षत्र (Invisible Nakshatra) में विभाजित किया जाता है। विद्यमान नक्षत्र चंद्रमा के स्थान को प्रतिबिंबित करते हैं, जबकि अविद्यमान नक्षत्र उसके प्रतिबिंब से दूर स्थित होते हैं।
यहां हिन्दू ज्योतिष में उपयोग होने वाले 27 नक्षत्रों की सूची है:
- अश्विनी (Ashwini)
- भरणी (Bharani)
- कृत्तिका (Krittika)
- रोहिणी (Rohini)
- मृगशीर्षा (Mrigashirsha)
- आर्द्रा (Ardra)
- पुनर्वसु (Punarvasu)
- पुष्य (Pushya)
- आश्लेषा (Ashlesha)
- मघा (Magha)
- पूर्व फाल्गुनी (Purva Phalguni)
- उत्तर फाल्गुनी (Uttara Phalguni)
- हस्त (Hasta)
- चित्रा (Chitra)
- स्वाति (Swati)
- विशाखा (Vishakha)
- अनूराधा (Anuradha)
- ज्येष्ठा (Jyeshtha)
- मूल (Mula)
- पूर्वाषाढ़ा (Purva Ashadha)
- उत्तराषाढ़ा (Uttara Ashadha)
- श्रवण (Shravana)
- धनिष्ठा (Dhanishta)
- शतभिषा (Shatabhisha)
- पूर्वभाद्रपद (Purva Bhadrapada)
- उत्तरभाद्रपद (Uttara Bhadrapada)
- रेवती (Revati)
ज्योतिष विद्या में जन्म नक्षत्र के आधार पर व्यक्ति की विभिन्न गुणों, प्रकृति, स्वभाव, और जीवन पथ का विश्लेषण किया जाता है। इसके आधार पर ज्योतिषी व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की सलाह और मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।