ज्योतिष में ‘कालसर्प योग’ एक दोष है जो कुंडली में उत्पन्न होता है। कालसर्प योग को सर्प ग्रह (राहु और केतु) के संयोग के रूप में परिभाषित किया जाता है। इस योग में राहु और केतु के बीच कोई ग्रह नहीं होता है या उनके साथ केवल एक या दो ग्रह ही होते हैं। कालसर्प योग के उपस्थित होने पर व्यक्ति को निम्नलिखित प्रभाव महसूस हो सकते हैं:

  1. मानसिक तनाव: कालसर्प योग वाले व्यक्ति को मानसिक तनाव, चिंता और उत्सुकता के प्रभाव का सामना करना पड़ सकता है। व्यक्ति को मानसिक स्थिरता और स्वस्थ मनोवृत्ति के लिए ध्यान देना चाहिए।
  2. पारिवारिक समस्याएं: कालसर्प योग के असामान्य प्रभाव से, पारिवारिक मामलों में तकलीफें उत्पन्न हो सकती हैं। व्यक्ति को परिवार के साथीदारों के साथ सहयोग करने की आवश्यकता हो सकती है।
  3. कर्मिक प्रभाव: कालसर्प योग को कर्मिक योग भी माना जाता है। यह व्यक्ति को कर्मिक चुनौतियों और संघर्षों का सामना करने के लिए बाध्य कर सकता है।

कालसर्प योग का प्रभाव व्यक्ति की कुंडली पर आधारित होता है, इसलिए यदि आपको कालसर्प योग के बारे में अधिक जानकारी चाहिए, तो एक astro vedic shakti से संपर्क करना सर्वोत्तम होगा। वे आपको सही मार्गदर्शन और समाधान प्रदान करेंगे।